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राधे और नेहाश्री के मुरीद हुए रवि किशन 

राधे और नेहाश्री के मुरीद हुए रवि किशन 

भोजपुरी फिल्मो के मेगा स्टार रवि किशन अपनी अगली फिल्म राधे के केंद्रीय किरदार राधे नाम के  हाथी और फ़िल्म की निर्मात्री नेहा श्री के मुरीद हो गए हैं । अपने साप्ताहिक ब्लॉग रवि की बात में उन्होंने ना सिर्फ दोनों की तारीफ की है बल्कि फ़िल्म के संगीत के लिए संगीतकार व फ़िल्म के निर्देशक रितेश ठाकुर और अपने को स्टार युवा सुपर स्टार अरविंद अकेला कल्लू की भी जम कर तारीफ की है । रवि किशन का यह ब्लॉग यहां आपके लिए प्रेषित है –

आप सभी पाठकों को आपके अपने रवि किशन का प्रणाम ।राधे एक ऐसा शब्द है जिसका नाम आते ही भगवान श्री कृष्ण का ध्यान बरबस ही आ जाता है । पर मैं जिस राधे की बात कर रहा हूँ वह ना तो भगवान है ना ही इंसान बल्कि हमारी अगली फिल्म का केंद्रीय किरदार है जो कोई आम कलाकार नही बल्कि एक हाथी है । दरअसल मैं इन दिनों गुजरात के राजपिपला में एक अनूठी भोजपुरी फ़िल्म की शूटिंग कर रहा हूँ । फ़िल्म का नाम है राधे । राधे की चर्चा बाद में करूँगा पहले कुछ राज की बात आपसे शेयर करना चाहता हूं । आपलोगो को पता ही है अधिकतर भोजपुरी फिल्मो की शूटिंग गुजरात में ही होती है । लेकिन शायद ये नही पता होगा कि पहली भोजपुरी फ़िल्म कौन सी थी जिसकी शूटिंग गुजरात मे हुई थी ।

2003 में मेरी फिल्म सैया हमार से भोजपुरी फ़िल्म जगत के तीसरे चरण की शुरुआत हुई थी । इस फ़िल्म के निर्देशक थे मोहनजी प्रसाद । उनकी ही दूसरी फिल्म गंगा जइसन माई हमार भोजपुरी की पहली ऐसी फिल्म थी जिसकी शूटिंग गुजरात मे हुई थी । यह 2003 की बात है । इस बात को चौदह साल हो गए । इस दौरान 200 से भी अधिक भोजपुरी फिल्मो की शूटिंग गुजरात के राजपिपला में हो चुकी है । राजपिपला का राजवंत पैलेस में पूरी यूनिट ठहरी थी । आज फिर वहीं बैठकर आपसे अपने दिल की बात बयां कर रहा हूँ । इस चौदह साल में मेरी एक दो नही दर्ज़नो  ब्लॉक बस्टर फिल्मो की शूटिंग

यही हुई है । देवरा बड़ा सतावेला , कब होइ गवना हमार , कानून हमरा मुट्ठी में जैसी फिल्में यही शूट हुई थी । 7 साल पहले मैंने इसी लोकेशन पर रहकर सत्यमेव जयते की शूटिंग की थी । अब यहां राधे की शूटिंग कर रहा हूँ । सबसे पहले में राधे की निर्मात्री नेहा श्री को बधाई दूंगा की उन्होंने अभिनय के साथ साथ अब फ़िल्म निर्माण के क्षेत्र में भी कदम रख दिया है । उनकी लगन को सलाम क्योंकि फ़िल्म में अभिनय के साथ साथ वह प्रोडक्शन की हर छोटी छोटी जरूरतों पर भी खास ध्यान देती हैं । ऐसी लगन और फ़िल्म के प्रति समर्पित प्रोड्यूसर कम ही हैं हमारी इंडस्ट्रीज में । तारीफ के काबिल है राधे के निर्देशक रितेश ठाकुर जो इस फ़िल्म के संगीतकार भी हैं । आरा के खून में ही संगीत बहता है । फ़िल्म के हर गाने एक से बढ़कर एक हैं । सब्जेक्ट का चयन भी उन्होंने खुद किया है । राधे का विषय अनूठा है । दरअसल राधे एक हाथी है जो फ़िल्म में मेरा दोस्त हॉता है और हर कदम पर मेरा साथ देता है । मैं जानवर प्रेमी इंसान हूँ । मेरे घर और कार्यालय में कई पालतू जानवर हैं पर किसी हाथी के करीब आने का मेरा पहला मौका है । सच कहिये तो मुझे उसका साथ काफी पसंद है । मैं कई बार उसे नहला चुका हूं , अपने हाथों से फल खिला चुका हूं । मेरे साथ शूट करके तो अब वह मेरी भाषा और इशारा भी समझने लगा है । जानवर प्यार की भाषा समझते है । यूनिट का लाडला राधे को जल्द ही आप हमारे साथ पर्दे पर देखेंगे । राधे कई मायनों में मेरे लिए खास है । फ़िल्म में मेरे साथ अरविंद अकेला कल्लू भी हैं । बहुत ही प्यारा इंसान है । तमीज और तहजीब काफी है उसमें । फुरसत के पल में हम लोग क्रिकेट खेलते हैं । यानि मैं कह सकता हूँ कि फ़िल्म राधे में गजब का टीम वर्क है इसके लिए धन्यवाद के पात्र हैं नेहाश्री और रितेश ठाकुर जो फ़िल्म और फ़िल्म से जुड़े लोगों की बेहतरी के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं । मैं दुआ करूँगा की बतौर निर्मात्री नेहाश्री बहुत ऊंचाई तक पहुचे । अगले सप्ताह फिर आपसे मुलाकात होगी ।

आपका रवि किशन

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