Poet Shashi’s New Poem MANAV KRODH Published by Amco Music
कवयित्री: शशि
मानव क्रोध
आता है जब क्रोध, लाल चेहरे को कर देता है,
नेत्र आग बरसाते हैं, बुद्धि को हर लेता है,
समय, धर्म, धन का विनाश कर, पाप वृद्धि करता है,
क्रोध महाराक्षस, मानव की समूल शान्ति हरता है।
रक्त विकृत हो जाता है, खाया पानी बन जाता है,
आते रोग अनेक, क्षीण मन दुख से भर जाता है,
न कहने योग्य शब्द, मुख से झरने लगते हैं,
अगले के मानस, पीड़ाओं से भरने लगते हैं।
क्रोध बढ़ाता बैर, स्वजन को कर देता परजन है,
भय का वातावरण, बनाकर पीड़ित करता मन है,
छोटी छोटी बातों में भी, क्रोध नहीं अच्छा है,
करके क्रोध जीत नहीं सकते, जो छोटा बच्चा है।
क्रोध पशुत्व स्वभाव, विवशता की दुर्लभ बेड़ी है,
जिसने सम्यक समझ लिया, उसने इसको तोड़ी है।
एमको म्यूजिक व अरुण शक्ति के सौजन्य से
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